भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 55
(मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण)
(1) जो कोई मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा. यदि वह अपराध उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप न किया जाए, और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबन्ध इस संहिता में नहीं किया गया है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा। और यदि ऐसा कोई कार्य कर दिया जाए, जिसके लिए दुष्प्रेरक उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप दायित्व के अधीन हो और जिससे किसी व्यक्ति को उपहति कारित हो तो दुष्प्रेरक दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय होगा और जुर्माने से भी दायी होगा
उदाहरण- रहीम को मोहन की हत्या करने के लिए राम उकसाता है। वह अपराध नहीं किया जाता है। यदि मोहन की हत्या रहीम कर देता है तो वह मृत्यु या आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डनीय होता। इसलिए, राम कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय है और जुर्माना से भी दण्डनीय है और यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप मोहन को कोई उपहति हो जाती है तो वह कारावास से, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी दण्डनीय होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
अपराध का वर्गीकरण
भाग- 1: सजा : 7 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना
संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है -
अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं
भाग- 2: सजा : 14 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना
संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है -
अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं
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